Sunday, December 17, 2017

MAINPAT - हिमाचल प्रदेश के शिमला से काफी दूर एक शिमला यह भी


देश को एक और 'शिमला" मिल गया है, इसे न केवल भरपूर संभावनाओं वाला शहर माना जा रहा है।


देश को एक और 'शिमला" मिल गया है, इसे न केवल भरपूर संभावनाओं वाला शहर माना जा रहा है, बल्कि केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन 'ट्रायबल टूरिज्म सर्किट' की परियोजना में शामिल कर लिया है। यह शहर है करीब 3 हजार फीट ऊंचाई पर बसा तिब्बती शरणार्थियों का कैंप और छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले का पर्यटन स्थल मैनपाट। इसे छत्तीसगढ़ में शिमला ही कहा जाता है, क्योंकि गर्मी में यहां ठंडक बनी रहती है और ठंड के मौसम में सुबह- सुबह बर्फ की हल्की परत बिछी मिलती है। बड़ी संख्या में यहां तिब्बती निवास कर रहे हैं, इसलिए यहां के बाजार और शहर में शिमला जैसी रौनक दिखती है। लकदक कालीन से लेकर गरम कपड़े बनाने का काम यहां होता है।

खास पर्यटक स्थल का आभास कराता

तिब्बतियों का धर्मस्थल किसी खास पर्यटक स्थल का आभास कराता है। नेशनल पर्यटन सर्किट में शामिल होने से अब नया शिमला देशभर में चमकेगा। पर्यटकों के आने की संभावना को देखते हुए इस परियोजना के तहत मैनपाट में लगभग 27 करोड़ रुपए के पर्यटन विकास के काम युद्ध स्तर पर कराने की तैयारी चल रही है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा जिला प्रशासन से समन्वय बनाकर इसकी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इस कार्ययोजना में मैनपाट के ऐसे पर्यटन स्थल जो अबतक अनछुए हैं, वहां तक पर्यटकों की पहुंच बना बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की भी होगी। इस कार्ययोजना में मैनपाट के कमलेश्वरपुर में पर्यटन गांव भी प्रमुख है।

सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव तैयार

पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वदेश दर्शन योजनांतर्गत आदिवासी क्षेत्रों के पर्यटन केंद्रों को पर्यटन नक्शे पर स्थापित करने ट्रायबल टूरिज्म सर्किट परियोजना लागू की गई है। इस परियोजना में मैनपाट को भी शामिल कर लिया गया है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस परियोजना को लागू करने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार को भी पर्यटन स्थलों के विकास के लिए आवश्यक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। अधिकारियों के मुताबिक ट्रायबल टूरिज्म सर्किट परियोजना के तहत मैनपाट के साथ बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए अंबिकापुर में भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने प्रस्ताव तैयार किया गया था।

मैनपाट के लिए कार्ययोजना तैयार

अंबिकापुर के लिए 1207.50 लाख तथा मैनपाट के लिए 1498.67 लाख रुपए की कार्ययोजना तैयार की गई थी। पिछले वित्तीय वर्ष में कार्ययोजना के अनुरूप कोई कार्य आरंभ नहीं हो सका था। अंबिकापुर में प्रस्तावित कार्यों के लिए जमीन उपलब्ध कराने की कोशिश हुई थी, लेकिन पर्यटन महत्व को लेकर प्रस्तावित कार्ययोजना को मूर्तरूप देने जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं होने से यहां के कार्यों को भी मैनपाट में ही कराए जाने का अंतिम निर्णय लिया गया है। 

टाइगर प्वाइंट है मशहूर

अब एक साथ लगभग 27 करोड़ रुपए से मैनपाट के कमलेश्वरपुर, मेहता प्वाइंट, टाइगर प्वाइंट, मछली प्वाइंट, जलजली, परपटिया के पहचान स्थापित कर चुके पर्यटन स्थलों के अलावा अनछुए पर्यटन स्थलों तक सुविधाएं पहुंचाने का काम शुरु हो जाएगा। मैनपाट में पर्यटन विकास के लिए जो बड़े काम प्रस्तावित किए गए हैं, उसमें हेरीटेज विलेज प्रमुख है। जहां पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके अलावा जगह-जगह पर टेंट, टूरिस्ट एमिनिटी सेंटर, फेसीलिटेशन सेंटर सहित पानी, बिजली, सड़क व दूसरे बुनियादी जरूरतों के कार्य शामिल हैं। मैनपाट महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह द्वारा विकास व निर्माण कार्यों का शिलान्यास, भूमिपूजन किए जाने की तैयारी चल रही है।

भूमि का आवंटन

मैनपाट में विभिन्न पर्यटन विकास कार्यों के लिए जमीन का आवंटन कर दिया गया है। जमीन आबंटन से पहले आम जनता से दावा-आपत्ति भी मांगा गया था। लेकिन किसी प्रकार की कोई दावा आपत्ति प्राप्त नहीं हुई। ग्राम पंचायत ने जमीन आबंटन के लिए सहमति दी। तहसीलदार द्वारा भी जमीन आबंटन को लेकर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था। उसी प्रतिवेदन के आधार पर पर्यटन मंडल को पर्यटन विकास के लिए जमीन आबंटित करते हुए तहसीलदार मैनपाट को हस्तांतरित भूमि का राजस्व अभिलेख दूरूस्त करने निर्देश दिया गया है। 

ये कार्य हैं प्रस्तावित

कमलेश्वरपुर में टूरिस्ट फेसिलिटेशन, इंटरपिटेशन सेंटर के अलावा संपवेल, बोरवेल, ओवरहेड टैंक, वाटर सप्लाई पाइप लाइन के कार्य प्रस्तावित हैं। इनमें से कुछ काम मेहता प्वाइंट, टाइगर प्वाइंट, मछली प्वाइंट, जलजली, परपटिया में भी होंगे। टूरिस्ट एमिनिटी सेंटर, डे-शेल्टर, टेंट प्लेटफार्म, पिकनिक स्पॉटों में इको कुकींग स्पॉट विकसित किए जाएंगे। इनके अलावा पर्यटकों की सुविधा के लिए वे सारे कार्य प्रस्तावित किए गए हैं, जो बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए जरूरी होगा। मेहता प्वाइंट में लैंड स्केपिंग की भी व्यवस्था होगी। साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक व्यवस्था किए जा रहे हैं।

टूरिस्ट विलेज भी होगा विकसित

लगभग 12 करोड़ रुपए की लागत से विकसित होने वाले टूरिस्ट विलेज इको लाग हट्स, क्राफ्ट हाट, कैफेटेरिया, टूरिस्ट रिसेप्शन एंड फेसिलिटेशन सेंटर, ओपन थियेटर, ट्रायबल इंटरप्रिटेशन सेंटर, पगोड़ा, पार्थ-वे सहित गार्डन और दूसरी सुविधाएं स्थापित होंगी। टूरिस्ट विलेज में पर्यटकों को पर्यटन महत्व के स्थलों की जानकारी के अलावा परंपरागत रूप से उपलब्ध रहने वाली सुविधाओं को भी विकसित किया जाएगा। टूरिस्ट विलेज के लिए लगभग दो दर्जन कार्य प्रस्तावित किए गए हैं।

कई स्थल अब भी अछूते

मैनपाट का मेहता प्वाइंट, टाइगर प्वाइंट, मछली प्वाइंट, जलजली, परपटिया कुछ ऐसे स्थल हैं, जहां पर्यटकों की पहुंच है। इन स्थानों तक पर्यटक आसानी से पहुंच जाते हैं। इन पर्यटन स्थलों के अलावा मैनपाट में अब भी कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो अपनी पहचान नहीं बना सके हैं। ये पर्यटन स्थल अब भी अनछुए और अछूते हैं। इनमें रोपाखार का भूतहइया झरना, किंग झरना, पातालतोड़ कुआं, सरइकिरचा घाघी, परपटिया सनसेट प्वाइंट, बरिमा का उरंगहा झरना तक पर्यटकों की राह आसान करने का काम ट्रायबल टूरिज्म सर्किट से हो सकेगा।

ऐसे पहुंचें मैनपाट

रायपुर में एयरपोर्ट है, जो दिल्ली, मुंबई, विशाखापट्टनम, अहमदाबाद, इंदौर, भोपाल, बंगलुरु, कोलकाता जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है। रायपुर से अंबिकापुर की दूरी 350 किमी ट्रेन से तय की जा सकती है। रायपुर से अंबिकापुर के लिए सीधी ट्रेन है। सड़क मार्ग से यह इलाका रायपुर, बिलासपुर, बनारस और झारखंड के रांची से जुड़ा हुआ है। अंबिकापुर पहुंचने के बाद मैनपाट की दूरी 45 किमी पहाड़ पर है। यह सफर तय करने के लिए अंबिकापुर से टैक्सी मिल जाएगी।

कहां ठहरें

अंबिकापुर में छत्तीसगढ़ पर्यटन विकास निगम के रेस्ट हाउस हैं। इसकी बुकिंग ऑनलाइन या बेवसाइट पर दिए गए टोल फ्री नंबर से की जा सकती है। इसके अलावा कुछ और विभागों ने अपना रेस्टहाउस बना लिया है।

कब जाएं

जून से सितंबर तक बारिश का मौसम छोड़ कर कभी भी जा सकते हैं।


साभार: jagran.com