Sunday, August 21, 2016

New Roadway Towards Vaishnav Devi To Be Started Soon



परंपरागत रास्ते को 16 किमी तक शेड से ढंका जा चुका है। किनारे पर फेंसिंग भी की गई है, ताकि नीचे कोई गिरे नहीं और कचरा न फैलाए।

कटरा. जम्मू से कटरा का रास्ता पहले दो घंटे का होता था। तीन टनल की बदौलत अब यह बमुश्किल 40 मिनट का रह गया है। अभी लोग कम आ रहे हैं। पर महज डेढ़ महीने बाद नवरात्र शुरू हो जाएंगे। इसलिए वैष्णोदेवी तक जाने वाले नए रास्ते पर काम जोर-शोर से चल रहा है। 7 किमी लंबा ये रास्ता बालिनी ब्रिज से अर्द्धकुंवारी को जोड़ेगा। चेकिंग प्वाइंट और शेड का काम होते ही इसे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि, पालकी और घोड़े वाले इस नए रूट का विरोध कर रहे हैं। कितना छोटा होगा नया रास्ता...

- वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड के सीईओ अजीत कुमार साहू ने बताया कि श्रद्धालुओं में 80% पैदल यात्रा करते हैं। बाकी 6% हेलिकॉप्टर से और 14% घोड़े-पालकी से। नया रास्ता सिर्फ पैदल यात्रियों के लिए होगा। यहां घोड़े-पालकी बैन रहेंगे।

- पुराने रास्ते की तुलना में नया रास्ता सिर्फ 500 मीटर छोटा होगा, लेकिन सुविधाएं कई हैं। रूट इतना चौड़ा होगा कि इमरजेंसी में एम्बुलेंस भी आसानी से आ-जा सके। 
- सबसे खास बात ये होगी कि रूट शुरू होने के बाद यात्री बाणगंगा से अर्द्धकुंवारी और हाथी मत्था की खड़ी और कठिन चढ़ाई से बच जाएंगे। इतना ही नहीं, जमीन पर एंटी स्किड टाइल्स भी लगाई जा रही हैं।

- साथ ही स्लोप स्टैबेलाइजेशन टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया गया है, ताकि चढ़ाई सरल रहे। अगले साल कटरा से भवन तक सामान ले जाने वाला रोप-वे और भवन से भैरवघाटी तक पैसेंजर ले जाने वाला रोपवे भी शुरू हो जाएगा।

- अभी घोड़े से सामान भेजा जाता है। रोपवे बनने के बाद हर घंटे भवन से 800 लोगों को भैरवघाटी पहुंचाया जा सकेगा।

आईआईटी मुंबई ने डिजाइन की आरामदायक पालकी

- आईआईटी मुंबई ने ऐसी पालकी डिजाइन की है, जिसमें बैठने वाले और उसे उठाने वाले को ज्यादा आराम मिले। पालकी वालों के जूते भी नए बने हैं। 
- 33 खतरनाक जगहों पर लैंडस्लाइड ट्रीटमेंट हो रहा। 5 पर हो चुका है, 7 पर अगले फेज में होगा। बाकी बाद में। स्वीडिश कंपनी ये काम कर रही है। 
- मल्टीपर्पज ऑडियो सिस्टम लगाया जा रहा है। आपात स्थिति में लोगों को मैसेज देने के लिए इस्तेमाल होगा। 
- रास्तों को शेड से ढंका जा रहा है। ये इतने मजबूत हैं कि बारिश-धूप के साथ छोटे-मोटे पत्थरों को भी झेल सके। 
- परंपरागत रास्ते को 16 किमी तक शेड से ढंका जा चुका है। किनारे पर फेंसिंग भी की गई है, ताकि कोई गिरे नहीं और कचरा नहीं फैलाए।

नए रास्ते पर घोड़े और पालकी आने की रोक

- मौजूदा रास्ता बाणगंगा से अर्द्धकुंवारी जाता है। वहां से दो रास्त्ते निकलते हैं। पहला हाथी मत्था होते हुए भवन तक जाता है। यहां खड़ी चढ़ाई है। दूसरा हिमकोटि से भवन जाता है।

- नया रास्ता बालिनी ब्रिज से ताराकोट गांव होते हुए अर्द्धकुंवारी पहुंचाएगा। इस रास्ते से हिमकोटि होते हुए भी भवन तक जाया जा सकता है। इसमें घोड़े-पालकी नहीं चलेंगे।

साभार: दैनिक भास्कर