Tuesday, November 18, 2014

NAINA DEVI MANDIR - NAINITAL - मां नैना देवी मंदिर-नैनीताल उत्तराखंड









प्रकृति के वरदान से विभूषित देवभूमि उत्तराखंड की हृदयस्थली है नैनीताल शहर और नैनीताल की हृदयस्थली है नैनी झील। इसी नैनी झील के उत्तरी सिरे पर स्थित है मां नैना देवी का मंदिर। स्थानीय विश्वास के अनुसार यह मंदिर शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यहां सती के नेत्र गिरे थे, इसलिए इसका नाम नैना देवी प्रसिद्ध हुआ। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही बायीं तरफ एक विशाल पीपल का वृक्ष है और दायीं तरफ हनुमान जी की प्रतिमा। मंदिर के मुख्य परिसर में प्रवेश करने के बाद शेरों की दो प्रतिमाएं हैं। मुख्य परिसर में तीन देवी-देवता विराजमान हैं। बीच में मुख्य देवी नैना देवी हैं, जिन्हें दो नेत्रों द्वारा दर्शाया गया है। उनकी बायीं तरफ मां काली हैं और दायीं तरफ भगवान गणेश।

नैना देवी की प्रतिमा वाले भवन के ठीक सामने काले पत्थर का एक बहुत ही सुंदर शिवलिंग भी स्थापित है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन 1880 में हुए एक भूस्खलन की वजह से यह मंदिर नष्ट हो गया। बाद में 1883 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया। नैना देवी को नैनीताल शहर की कुल देवी कहा जाता है और इस शहर का नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया है। नैनी झील को ‘लघु मानसरोवर’ भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि अत्रि ऋषि, पुलस्त्य ऋषि और पुलह ऋषि ने मानसरोवर का जल लाकर इस झील का निर्माण किया था, इसलिए इसका एक नाम ‘त्रिऋषि सरोवर’ भी है। यूं तो नैना देवी मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि, सावन मेला और चैत्र मेला के दौरान यहां बाकी समय की अपेक्षा ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। मंदिर से आम के आकार वाली नैनी झील का दृश्य अत्यंत मनोरम दिखाई देता है। मंदिर दर्शन के लिए सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है।

साभार : देवालय परिचय - Devalaya Parichay, फेसबुक. 

2 comments:

  1. माँ नैना देवी मंदिर के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी ...
    जय माँ नैना देवी!

    ReplyDelete
  2. Jai Maa Naina Devi. Your detail of Naina Devi Mandir of Nainital in Hindi is appreciable. It is one of the most visited place in Nainital, Uttarakhand.

    To get the detail of this temples in English check here as I liked that too.

    ReplyDelete

हमारे तीर्थ स्थान और मंदिर के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।